1 January 2014

"नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं"

"नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं"


नये वर्ष का नया सवेरा ,
कुछ ताजे ताजे फूल खिले हैं,|
दिलो में दोस्ती की महक लिए
कुछ नये नये कद्रदान मिले हैं ||
ये रंग-बिरंगे,महकते,सुगन्धित पुष्प
जो दिन रात संघर्षों में जलें हैं|
खुले अम्बर,हकीकत के तल पर  
श्रृष्टि की आँखों में सपने पले हैं||
सपने  बड़े  सहज  ,सुंदर  हैं
दिल में पाने की हसरत,हौंसले हैं
सोच,सृजन,समर्पण,लगन से
ठोकरों में सारी ,मंजिले हैं ||
मंजिले पता पूछती हैं ,उस मुसाफिर का
जिसके रात  भर, दिए  जले  हैं |
तूफानी आधियों,सैलाबों में वह डटा हैं ,
देख जिसको ,घड़ी की सुई चले हैं||
-अजय यादव की कलम से |

7 comments:

  1. मंजिले पता पूछती हैं ,उस मुसाफिर का
    जिसके रात भर, दिए जले हैं |

    सत्य... सुन्दर!

    अनंत शुभकामनाएं!

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  2. हृदय से आभार |

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  3. हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. शुक्रिया आपको भी नए साल कि बहुत बहुत मुबारकबाद |

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  5. ढेरों बधाईयॉ

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