18 October 2011

riste[रिश्ते]---प्रेम

       प्रेम उस समय आता है जब हमे उसकी उम्मीद नही होती ,
                 जब हम उसकी तलाश में नहीं होते ,
प्रेम के पीछे पड़ने से कभी सही साथी नहीं मिलता,
यह कवल  चाह और असंतोष उत्पन्न करता  है ,
प्रेम कभी हमारे बाहर नहीं होता ,यह हमारे भीतर होता है ,
इस बात पर  जोड़ ना दे की प्रेम तत्काल आ जाये|
शायद आप पर्याप्त तैयार नहीं हैं ,
या आप अपने प्यार को आकृष्ट करने के लिए पर्याप्त विकसित नही हो पायें है ,
"किसी को पाना है "सिर्फ इसीलिए रिश्ते ना बनायें,समझौता ना करे ,
अपने मानदंड स्थापित करें |
आप किस प्रकार का प्रेम चाहते हैं,?
अपने गुणों की सुंची बनाएँ,
और आप ऐसे व्यक्ति को आकर्षित करेंगे ,

जिनमे वे गुण होंगे ,|
आप इस बात की जाच करे की कौन से बात प्रेम को दूर रख रही है ,
क्या वह आलोचना हो सकती है ,?
या अयोग्य होने की भावनाएं ?
अनुपयुक्त मानदंड?
अंतरंगता  का भय ?
ऐसी धारणा की आप प्रेम के योग्य नहीं है ?


जब प्रेम आये तो उसके लिए तैयार रहें,
आधार तैयार करें,
औरप्रेम को पोषित करें,
खुद को प्रेम करे और आपको प्रेम मिलेंगा |
प्रेम के प्रति मन खुला रखें और उसका स्वागत करे,

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